अमेरिका की रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) 24 जनवरी को आई थी. इस रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि अडानी समूह (Adani Group) की शेयर मार्केट में लिस्टेड 7 प्रमुख कंपनियां 85 फीसदी तक ओवरवैल्यूड हैं. मतलब ये कि अडानी समूह के ये शेयर अपनी असली कीमत से 85 फीसदी ज्यादा हैं. 

चलिए, इस बात को और साफ करते हैं. मान लीजिए, अगर किसी शेयर का भाव 100 रुपये है और कहा जाए कि यह शेयर 85 फीसदी ओवरवैल्यूड है, तो इस हिसाब से शेयर की वास्तविक कीमत 15 रुपये आंकी जाएगी. हिंडनबर्ग ने जब ये दावा किया, तो उसके बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में धड़ाधड़ लोअर सर्किट लगने लगा था. अब करीब एक महीना बीतने को है और अब भी अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट जारी है. ऐसे में हिंडनबर्ग का यह दावा अब सच होता दिख रहा है. पिछले एक महीने में अडानी ग्रुप के तीन शेयर 85 फीसदी तक गिरने की कगार पर पहुंच चुके हैं. मतलब यह उतनी ही गिरावट है, जितनी ओवरवैल्यूड होने की बात हिंडनबर्ग ने कही थी.

शेयरों में भारी गिरावट

बिजनेस टुडे में छपी खबर के मुताबिक, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी ट्रांसमिशन के शेयरों में भारी गिरावट आई है. सबसे पहले बात करते हैं अडानी टोटल गैस की. 24 जनवरी को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE पर अपने बंद भाव से अडानी टोटल गैस का शेयर अब तक करीब 80 फीसदी गिर चुका है. 24 जनवरी को अडानी टोटल गैस का शेयर 3885 रुपये के आसपास बंद हुआ था, जबकि 23 फरवरी को दोपहर एक बजे के करीब कंपनी का शेयर 5 फीसदी की भारी गिरावट के बाद 793 रुपये के आसपास आ गया. 

इसी तरह से अडानी ग्रीन 24 जनवरी को बंद भाव के मुकाबले अब तक करीब 74 फीसदी टूट चुका है. अडानी ग्रीन 23 फरवरी को 5 फीसदी के लोअर सर्किट के साथ 512 रुपये पर कारोबार कर रहा था, जबकि 24 जनवरी को इस कंपनी का शेयर 1914 रुपये के आसपास बंद हुआ था.इसके अलावा अडानी ट्रांसमिशन भी 24 जनवरी से अब तक करीब 74 फीसदी लुढ़क चुका है. 23 फरवरी को अडानी ट्रांसमिशन का शेयर एक साल के निचले स्तर तक लुढ़कर 749 रुपये के आसपास आ गया, जबकि 24 जनवरी को अडानी ट्रांसमिशन का शेयर 2756 पर बंद हुआ था. 

शेयरों में आई इस सुनामी के बाद से अडानी समूह की कंपनियों की मार्केट वैल्यू लगभग 11.6 लाख करोड़ रुपये कम हो चुकी है. फिलहाल अडानी समूह की सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 7.5 लाख करोड़ रुपये के आसपास है. मिंट की एक रिपोर्ट में जाने माने स्टॉक मार्केट निवेशक बसंत माहेश्वरी कहते हैं, 

“जब बुल मार्केट लीडर गिरता है, तो यह 10 फीसदी या 20 फीसदी तक नहीं गिरता है. आप ऐतिहासिक डेटा देख सकते हैं कि बुल मार्केट के लीडर, जोकि पोस्टर बॉय हैं 80 फीसदी से 90 फीसदी तक गिर जाते हैं. पहले हम अडानी को भी बुल मार्केट का पोस्टर बॉय कहते थे.”

बिजनेस डील्स का नुकसान

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह के शेयरों में ही सिर्फ सुनामी नहीं आई है, बल्कि अडानी समूह के हाथ से एक के बाद एक बिजनेस डील्स भी फिसलती दिख रही हैं. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीके बिड़ला ग्रुप की कंपनी ओरियंट सीमेंट ने भी अडानी पावर महाराष्ट्र के साथ डील खत्म कर दी है. अडानी समूह के साथ सौदा तोड़ते हुए सीके बिड़ला ग्रुप की ओर से कहा गया है कि अडानी समूह इस डील के लिए जरूरी क्लीयरेंस हासिल करने में नाकाम रहा है. ओरियंट सीमेंट ने सितंबर 2021 में अडानी के साथ एक यह डील करने का ऐलान किया था. 

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी ग्रुप के सौदों की लिस्ट देखें, तो एक महीने में उन्हें तीन बड़े झटके लग चुके हैं. हाल ही में अडानी पावर और डीबी पावर के बीच करीब 7000 करोड़ रुपये की डील टूट चुकी है. इसके अलावा खबर है कि अडानी समूह ने देश की पावर ट्रेडिंग कपंनी पीटीसी इंडिया में हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने से खुद को अलग कर लिया है. इन झटकों के अलावा महीनेभर के भीतर ही अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी अरबपतियों की लिस्ट में 25वें पायदान से भी नीचे खिसक गए हैं. ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स में गौतम अडानी खिसककर 29वें पायदान पर पहुंच गए हैं. फिलहाल उनकी संपत्ति साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये के आसपास बची है.

डैमेज कंट्रोल में जुटा ग्रुप

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग के झटकों से उबरने के लिए अडानी समूह लगातार डैमेज कंट्रोल में लगा है. हाल ही में समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी समूह अगले वित्त वर्ष के लिए रेवेन्यू टारगेट को 40 फीसदी से घटाकर 15 से 20 फीसदी कर सकता है. सूत्रों का कहना था कि अडानी समूह का पूरा ध्यान कर्ज चुकाने, कैश बचाने और नए निवेश में कम पैसा खर्च करने पर रहेगा. अडानी समूह अपने गिरवी रखे शेयरों को छुड़ाने के लिए भी लगातार काम कर रहा है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी समूह की तीन कंपनियों ने बैंकों के पास अपने अतिरिक्त शेयर गिरवी रखे हैं, जिन्हें जल्द से जल्द छुड़ाने का प्लान तैयार किया जा रहा है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से समूह लगातार अपने कर्जों को घटाने पर भी काम कर रहा है. बीती 6 फरवरी को समूह ने कहा था कि अडानी समूह अपनी तीन फर्मों के गिरवी शेयरों को छुड़ाने के लिए करीब 9100 करोड़ रुपये का लोन समय से पहले चुकाएगा. वहीं 8 फरवरी को अडानी समूह की प्रमुख कंपनियों में से एक अडानी पोर्ट्स ने भी अपना 5000 करोड़ रुपये का लोन चुकाने की घोषणा की थी. 

इसके अलावा अडानी समूह ने अगले महीने अपने करीब 4200 करोड़ रुपये के ब्रिज लोन को भी समय से पहले चुकाने की बात कही है. आपको बता दें कि 24 जनवरी को अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर स्टॉक मैनुपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड समेत कई तरह के आरोप लगाए थे. अडानी समूह ने इन आरोपों को नकार दिया था.

By Sunil Kumar Verma

Sunil Kumar Verma - पत्रकार और समाचार संपादक

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