यह पूछने पर कि क्या वर्क फ्रॉम होम सेटिंग में मूनलाइटिंग लीगल हो सकता है. जवाब में विप्रो के सीईओ सीईओ डेलापोर्ट ने कहा, “हमारे कॉन्ट्रैक्ट प्रतिद्वंदी कंपनी के साथ साइड जॉब नहीं लेते हैं. यह कानून (औचित्य) का सवाल नहीं है; यह नैतिकता का सवाल है.”

दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो ने हाल ही में मूनलाइटिंग (Moonlighting) यानी दो जगहों पर नौकरियां कर रहे 300 कर्मचारियों को जॉब से निकाल दिया था. जिसके बाद कंपनी को अपनी पॉलिसी को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. अब विप्रो के चीफ एक्जिक्यूटिव थियरी डेलापोर्ट (Thierry Delaporte ) ने मूनलाइटिंग का बचाव किया है. डेलापोर्टे ने बुधवार को कहा कि साइड जॉब करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन किसी प्रतिद्वंदी या किसी विरोधी कंपनी के लिए काम करना नैतिकता का सवाल है. बता दें कि विप्रो के मालिक ऋषद प्रेमजी (Rishad Premji) मूनलाइटिंग को पहले ही सीधे तौर पर धोखाधड़ी बता चुके हैं.

यह पूछने पर कि क्या वर्क फ्रॉम होम सेटिंग में मूनलाइटिंग लीगल हो सकता है. जवाब में विप्रो के सीईओ सीईओ डेलापोर्ट ने कहा, “हमारे कॉन्ट्रैक्ट प्रतिद्वंदी कंपनी के साथ साइड जॉब नहीं लेते हैं. यह कानून (औचित्य) का सवाल नहीं है; यह नैतिकता का सवाल है.” डेलापोर्ट ने विप्रो की तिमाही इनकम के बारे में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बातें कही. विप्रो के तिमाही प्रॉफिट में 9.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जिसमें कर्मचारियों पर बढ़ता खर्च एक कारण था.

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट उन्होंने कहा, “मेरी बात सुनो, मैं अवैध चीजों के बारे में बात नहीं कर रहा हूं. मैं साइड जॉब के बारे में बात नहीं कर रहा हूं. मैं वास्तव में हितों के टकराव की एक स्पष्ट स्थिति में होने की बात कर रहा हूं. मुझे लगता है कि हमारे कर्मचारी इसे समझते हैं.” इस बात को ध्यान में रखते हुए कि टेक महिंद्रा जैसी कई कंपनियां साइड जॉब्स पर बात नहीं कर रही है. उन्होंने कहा, “अगर दूसरों को कोई समस्या नहीं है, तो हम इसका सम्मान करते हैं. लेकिन इसके साथ ही हम कुछ नया या अलग नहीं कर रहे हैं.”

By Sunil Kumar Verma

Sunil Kumar Verma - पत्रकार और समाचार संपादक