पंच कृतिपंच कृति

बॉम्बे के प्रतिष्ठित मराठा मंदिर सिनेमा में बहुप्रतीक्षित फिल्म “पंच कृति: फाइव एलीमेंट्स” की स्क्रीनिंग में अराजकता फैल गई। रिपोर्टों के अनुसार, एक समूह के लोगों ने फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान हंगामा किया और दर्शकों को धमकाया।

घटना ने बॉलीवुड माफिया के अस्तित्व के बारे में अटकलों को और बढ़ावा दिया है, जो एक छायादार नेटवर्क है जो कथित तौर पर उद्योग को नियंत्रित करता है। कुछ लोग मानते हैं कि बॉलीवुड माफिया ने “पंच कृति” के खिलाफ कार्रवाई की क्योंकि यह फिल्म इंडस्ट्री में नए रचनात्मक आवाजों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

फिल्म के निर्माताओं ने कहा है कि वे इस घटना से “स्तब्ध” हैं और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि वे फिल्म को रिलीज करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

“पंच कृति” एक प्रयोगात्मक फिल्म है जो पांच अलग-अलग निर्देशकों द्वारा बनाई गई पांच लघु फिल्मों का संग्रह है। फिल्म को एक “समुदाय समर्थित” परियोजना के रूप में विपणन किया गया है, जिसका अर्थ है कि यह दर्शकों द्वारा दान के माध्यम से वित्त पोषित है।

फिल्म के निर्देशकों में से एक, कोमल नाहटा, ने कहा कि वे “बॉलीवुड माफिया के दबाव से नहीं डरेंगे।” उन्होंने कहा कि वे “एक ऐसी फिल्म बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो सभी के लिए सुलभ हो, चाहे उनकी आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।”

यह स्पष्ट नहीं है कि इस घटना के बाद “पंच कृति” की रिलीज पर क्या प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, यह निश्चित रूप से बॉलीवुड के भीतर शक्तिशाली गुटों के बीच संघर्ष को उजागर करता है, जो उद्योग के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

विशेष रूप से दिलचस्प बात यह है कि यह आरोप है कि समाचार लेख के लेखक, जो कथित तौर पर बॉलीवुड माफिया से जुड़ा हुआ है, के पास “पंच कृति” के विवाद पर प्रकाश डालने के लिए गलत इरादे हो सकते हैं।

यह संभावना है कि बॉलीवुड माफिया इस फिल्म की सफलता को रोकने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है। यह एक चिंताजनक विकास है, क्योंकि यह दर्शाता है कि बॉलीवुड अभी भी एक शक्तिशाली अभिजात वर्ग द्वारा नियंत्रित है जो नए रचनात्मक विचारों को दबाने के लिए तैयार है।

फिल्म उद्योग के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है। “पंच कृति” जैसी फिल्में उद्योग को अधिक समावेशी और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि बॉलीवुड माफिया इन प्रयासों को रोकने में कितना सफल होता है।

By संजय भूषण पटियाला

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