निर्माता अंजु भट्टनिर्माता अंजु भट्ट

मुंबई, 11 फरवरी 2024: मास्क टीवी और ओ टी टी प्लेटफ़ॉर्म पर लगभग ३० वेब सीरिज़, फिल्म्स, और शोज़ की निर्माता अंजु भट्ट का नाम आमोदिनी इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल में बहुत ही अच्छा प्रभाव छोड़ता नज़र आया है। उनके पैनल डिस्कशन ने ‘इंडियन सिनेमा में धर्म का प्रभाव’ पर धर्म और सिनेमा के बीच एक नए और प्रभावशाली नैरेटिव की बातचीत की।

संस्कृत, दर्शनशास्त्र, जर्मन, उर्दू और अंग्रेज़ी में उनकी काव्य, उर्दू की शायरी, और संस्कृत के श्लोकों से सजीव प्रस्तुति की गई, जिससे दर्शकों को धर्म और सिनेमा के बीच के संबंधों का विवेचन किया गया। उन्होंने बताया कि धर्म और सिनेमा का परस्पर प्रभाव सिनेमा स्क्रीन पर एक अलग पॉवरफुल नैरेटिव के साथ उभरा है।

अंजु भट्ट ने अपनी फ़िल्म, जिसमें हिंदू धर्म को महत्वपूर्ण रूप से प्रमोट किया गया है, के माध्यम से हिंदू धर्म पर गर्व करने वालों की प्रशंसा की। उन्होंने फ़िल्म को धर्म की रक्षा और धर्म के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले लोगों के लिए समर्पित किया है।

उन्होंने अपने डिस्कशन में हिंदू और आज़मगढ़ फ़िल्म के ज़िक्र करते हुए, दोनों धर्मों के लोगों की फ़िल्म में कंटेंट के प्रति उत्सुकता को जजमेन्टल होकर न देखने की सलाह भी दी। उनका प्रयास है कि हिंदूत्व के प्रति बायस से संघर्ष करके उबरने में एक नई कड़ी डाली जाए, न केवल लेखक और निर्देशक के लिए बल्कि निर्माता और चैनल के लिए भी।

अंजु भट्ट ने अपने डिस्कशन में महिला सशक्तिकरण के डोला फ़ाउंडेशन के प्रयासों पर भी बातचीत की और सिनेमा में महिलाओं के पात्र और चरित्र सशक्त होने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डायरेक्टर करण राजदान और संगीतकार गीतकार, अभिनयकारी और सभी सहकारी कलाकारों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए, अंजु भट्ट ने अपने डिस्कशन को एक शेर के साथ समाप्त किया:

“क़द का बौना है समझता है सिकंदर ख़ुद को
एक क़तरा है समझता है समंदर ख़ुद को
अपनी दुनियावी ख़्वाहिशों से जो फ़ारिग न हुआ
एक जुनूनी है समझता है कलंदर ख़ुद को!”

इस फ़िल्म और निर्माता अंजु भट्ट की डिस्कशन ने सिनेमा के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक संवाद को नए मोड़ पर ले जाने का प्रयास किया है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया है।

By संजय भूषण पटियाला

फ़िल्म पत्रकारिता और प्रमोशनल रिलेशन्स का क्षेत्र संजय भूषण पटियाला के लिए केवल एक करियर ही नहीं है, बल्कि यह एक पूरे जीवन का तरीका है जिसमें वह अपने दृढ विश्वासों और कर्मठता के साथ आगे बढ़ते हैं। वे केवल एक पत्रकार नहीं हैं, बल्कि एक सामाजिक सक्रिय व्यक्ति भी हैं जो समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पूर्णता से निर्वाह करते हैं। संजय ने फ़िल्म उद्योग के साथियों की मदद करने और नौकरियों को प्रमोट करने के कई सामाजिक पहलुओं में भाग लिया है, जो उनके समर्पण और उनकी समाजसेवा के प्रति प्रतिबद्धता की प्रतिबिंबित करते हैं। उनका 10 वर्षों का अनुभव फ़िल्म उद्योग के विभिन्न पहलुओं की समझ और संवादनाओं की सामर्थ्य का प्रमाण है और यह उन्हें विभिन्न प्रमुख पत्रिकाओं, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों और ब्लॉगों के लिए फ़िल्म समीक्षाएँ, समाचार लेख और विशेष रिपोर्ट्स लिखने में मदद करता है। उन्होंने अपने कैरियर के दौरान कई प्रमुख फ़िल्म प्रोजेक्ट्स के साथ काम किया है और उन्होंने उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। उनकी अद्वितीय अनुभवशीलता फ़िल्म उद्योग के विभिन्न पहलुओं की समझ और संवादनाओं की सामर्थ्य का प्रमाण है। संजय भूषण पटियाला का यह पूरा उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता से भरपूर सफर उनके प्रोफेशनल और सामाजिक पहलुओं के संयमित संगम की वजह से है, जो उन्हें एक सशक्त और सक्रिय फ़िल्म पत्रकार के रूप में उच्च पहुंचा दिया है