Lakshyaraj Singh Mewar (लक्ष्यराज सिंह मेवाड़)Lakshyaraj Singh Mewar (लक्ष्यराज सिंह मेवाड़)

Lakshyaraj Singh Mewar (लक्ष्यराज सिंह मेवाड़) – राजस्थान के मेवाड़ से आने वाले सीनियर नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद विधानसभा और मेवाड़ में दो जगहें खाली हो गई हैं.

Lakshyaraj Singh Mewar (लक्ष्यराज सिंह मेवाड़)

कटारिया को असम राजभवन भेजे जाने से वह अब सक्रिय राजनीति से दूर हो गए हैं तो इधर अब मेवाड़ में बीजेपी का किला कौन अभेद रख पाएगा इसकी चर्चा जोरों पर है. कटारिया पिछले 5 दशक से राजनीति में थे और उनके रहते मेवाड़ में कोई दूसरा क्षत्रप नहीं पैदा हो पाया. जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने कटारिया को ऐसे मौके पर राज्यपाल की कुर्सी देकर बीजेपी में नए बदलाव के संकेत दिए हैं जिसे नए चेहरों के आगमन के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में मेवाड़ के युवराज डॉ. लक्ष्यराज सिंह का नाम भी चर्चा में है जिन पर बीजेपी दांव खेल सकती है. जानकारों का कहना है कि बीजेपी हमेशा नए प्रयोग करने का राजनीतिक पैटर्न सेट करती है तो ऐसे ही किसी चौंकाने वाले चेहरे को लाया जा सकता है.

फिलहाल की सियासी चर्चाओं को देखें तो अब उदयपुर शहर में बीजेपी के जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली और बीजेपी महिला मोर्चे की प्रदेशाध्यक्ष अलका मूंदड़ा का नाम भी टिकट के अगले दावेदारों में चल रहा है. हालांकि ये सभी पार्टी से जुड़े हैं तो उनके नामों की चर्चाएं हो रही हैं. वहीं लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने भी अपनी राजनीति में एंट्री को लेकर पूछे गए सवालों पर अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है.

Lakshyaraj Singh Mewar (लक्ष्यराज सिंह मेवाड़)

युवराज की एंट्री को लेकर पसोपेश !

‘अगर मैं यह कहूं कि मैं राजनीति में एंट्री नहीं ले रहा तो यह कहना गलत होगा, क्योंकि कल को अगर मेरी राजनीति में एंट्री होती है तो मेरी बात गलत हो जाएगी, लेकिन अगर मैं फिलहाल ईमानदारी से कहना चाहूं तो यहीं कहूंगा कि अभी इस तरह की कोई चर्चा नहीं है’….बीते दिनों एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में लक्ष्यराज सिंह ने अपनी राजनीति में एंट्री को लेकर गोलमोल जवाब दिया था.

लक्ष्यराज सिंह की राजनीति में एंट्री की चर्चा कटारिया के जाने से बाद ही नहीं बल्कि इससे पहले भी कई दिनों से उनकी बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद यह चर्चा हुई थी. हालांकि हर बार उन्होंने खुद के किसी पार्टी में जाने को लेकर स्पष्टता जाहिर नहीं की थी. जानकारों का मानना है कि बीजेपी नए चेहरों को लाने का परसेप्शन जब सेट करना चाहती है तो लक्ष्यराज सिंह को उदयपुर से मौका दिया जा सकता है.

जानकारों का इस तर्क के पीछे यह कहना है कि लक्ष्यराज सिंह युवा हैं और मेवाड़ राजघराने से ताल्लुक रखते हैं. इसके अलावा वह महाराणा प्रताप के वंशज हैं और उदयपुर की आम जनता के बीच वह काफी सक्रिय हैं और हर तरह के सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं.

राज्यपाल ने बनाया था सलाहकार

बीते साल जून के महीने में महाराणा कुंवर लक्ष्यराज सिंह को महामहिम राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया था तब भी उनके राजनीति में आने की चर्चाएं तेज हो गई थी. राज्यपाल कलराज मिश्र के मुख्य सचिव सुबीर कुमार द्वारा जारी आदेश के तहत राज्यपाल के सलाहकार मंडल में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ उदयपुर को नामित किया गया था.

राजस्थान के समग्र विकास से संबंधित प्रकरणों में समय-समय पर परामर्श के लिए गठित राज्यपाल सलाहकार मंडल में लक्ष्यराज सिंह को पर्यटन एवं रोजगार से संबंधित विषयों पर अपनी सलाह देने के लिए मनोनीत किया गया था. वहीं इसके बाद से लक्ष्यराज सिंह की बीजेपी और संघ के पदाधिकारियों से लगातार बढ़ती नजदीकियों के भी कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं.

कौन है लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ?

Lakshyaraj Singh Mewar (लक्ष्यराज सिंह मेवाड़)

मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ फिलहाल एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर हैं. वह अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे हैं जिनकी शुरुआती पढ़ाई अजमेर के मेयो से हुई थी जिसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से ग्रेजुएशन और सिंगापुर में हॉस्पिटेलिटी कोर्स किया.

वहीं कोर्स पूरा होने के बाद लक्ष्यराज ने ऑस्ट्रेलिया की कई होटलों में काम भी किया था और इसके बाद उदयपुर लौटकर पर लक्षराज ने अपना फैमिली बिजनेस संभाला और एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बने. लक्ष्यराज सिंह को उनके कामों के लिए बीते दिनों यंग अचीवर्स फॉर प्रिजर्विंग हेरिटेज प्रमोटिंग हॉस्पिटल अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.

दक्षिण राजस्थान में बीजेपी को तलाशना होगा विकल्प

Lakshyaraj Singh Mewar (लक्ष्यराज सिंह मेवाड़)

गौरतलब है कि कटारिया की दक्षिणी राजस्थान में जबरदस्त पकड़ रही है और उदयपुर के साथ-साथ बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद जैसे जिलों की लगभग 25 सीटों को कटारिया प्रभावित करते थे. हालांकि राजसमंद सीट पर अब दिया कुमारी ने अपनी जमीन तैयार कर ली है. आंकड़ों में देखें तो कटारिया की बदौलत ही 2018 में सत्ता गंवाने के बावजूद उदयपुर संभाग में 28 में से 15 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. वहीं, उदयपुर जिले की 8 में से 6 सीटों पर बीजेपी काबिज हुई थी.

वहीं मेवाड़ के उदयपुर से कटारिया पिछले 4 विधानसभा चुनावों में यहां से जीत हासिल कर रहे थे और इसके अलावा जिले में 8 विधानसभा सीटें हैं जिसमें से 6 पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस का कब्जा है. मेवाड़-वागड़ की कुल 28 सीटों में इन सीटों को बीजेपी का गढ़ माना जाता है.

By Jagnnath Singh Rao

Jagnnath Singh Rao - News Editor and Journalist