कांग्रेस को राम की याद इसलिए आई क्योंकि राम हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं और हिंदुओं के एक बड़े हिस्से के लिए राम मंदिर एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। कांग्रेस चाहती है कि वह हिंदू वोट बैंक को साध सके और इसलिए वह राम मंदिर मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपना रही है।
2009 में, यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे में भगवान श्रीराम के होने पर ही सवाल उठाए थे। इस हलफनामे के बाद कांग्रेस को हिंदू वोट बैंक से काफी नुकसान हुआ था। अब, जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है, तो कांग्रेस चाहती है कि वह राम मंदिर मुद्दे पर अपनी गलती सुधार सके।
इसके अलावा, कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होने के लिए भी राम मंदिर मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपनाना पड़ रहा है। भाजपा राम मंदिर मुद्दे को अपने चुनावी एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना चुकी है। कांग्रेस अगर इस मुद्दे पर भाजपा के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहती है, तो उसे भी राम मंदिर मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपनाना होगा।
कुल मिलाकर, कांग्रेस को राम की याद इसलिए आई क्योंकि वह हिंदू वोट बैंक को साधना चाहती है और राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होना चाहती है।
यहां कुछ विशिष्ट घटनाएं दी गई हैं जो कांग्रेस को राम की याद दिलाने के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं:
- 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राम मंदिर मुद्दे को चुनावी एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया और इस मुद्दे पर जीत हासिल की।
- 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
- 2023 में, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।
इन घटनाओं ने कांग्रेस को यह एहसास कराया कि राम मंदिर मुद्दा हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और अगर वह हिंदू वोट बैंक को साधना चाहती है, तो उसे भी इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपनाना होगा।