इन 5 मुद्दों पर नीतीश-चंद्रबाबू BJP को डाल सकते हैं मुश्किल में, कैसे हल निकालेंगे PM मोदी-शाह?

लोकसभा चुनाव 2024 के रुझानों में एनडीए को बहुमत मिलता दिख रहा है, लेकिन भाजपा अकेले 272 का जादुई आंकड़ा पार करने में समर्थ नहीं है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए भाजपा को अपने अहम सहयोगी टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार पर निर्भर रहना पड़ेगा। मोदी सरकार 3.0 के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह न सिर्फ अपने सहयोगियों को साधे रखे, बल्कि उन्हें हमेशा साथ भी रखे। भाजपा के लिए इन दोनों पार्टियों को साधे रखने के लिए कई समझौते करना पड़ेगा। आइए जानते हैं वो 5 मुद्दे जिन पर नीतीश और चंद्रबाबू भाजपा को मुश्किल में डाल सकते हैं:

1. यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)

लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने यह साफ कर दिया था कि मोदी सरकार 3.0 में यूनिफॉर्म सिविल कोड कोर एजेंडे में शामिल होगा। उत्तराखंड में भाजपा सरकार पहले ही इसे लागू कर चुकी है। ऐसे में केंद्र की सत्ता में वापस आने के बाद भाजपा इसे प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाना चाहेगी। लेकिन नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू इस निर्णय को वापस लेने पर भाजपा पर दबाव बना सकते हैं।

2. वन नेशन, वन इलेक्शन

भाजपा के एजेंडे में वन नेशन, वन इलेक्शन भी शामिल है। इस संबंध में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है और 47 राजनीतिक दलों में से 32 दल तैयार हैं। लेकिन एनडीए गठबंधन में जेडीयू और टीडीपी की भूमिका अहम है। ऐसे में वे भाजपा के इस एजेंडे पर भी रोड़ा अटका सकते हैं।

3. जातिगत जनगणना

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी सरकार 3.0 पर देशभर में जातिगत जनगणना कराने का दबाव बना सकते हैं। बिहार में पिछड़ी जातियों, दलितों और मुस्लिम मतदाताओं का अच्छा-खासा प्रभाव है। नीतीश अपने राज्य बिहार में इस जनगणना को करवा चुके हैं और लंबे समय से देशभर में इसे करवाने की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस और आरजेडी भी इस जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं।

4. विशेष राज्य का दर्जा और स्पेशल पैकेज

नीतीश कुमार वर्षों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इस मांग को लेकर बिहार में अभियान चलाने की बात भी कही थी। वहीं, चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल पैकेज की मांग कर सकते हैं। ये दोनों नेता अब अपनी इन मांगों को लेकर मोदी सरकार 3.0 पर दबाव बना सकते हैं।

5. अहम मंत्रालयों की मांग

पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू केंद्र की सरकार में अहम मंत्रालयों के लिए दबाव बनाएंगे। 2019 के चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया था, हालांकि बाद में जेडीयू से आरसीपी सिंह मंत्री बने थे। बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है, ऐसे में जेडीयू भाजपा से प्रमुख मंत्रालयों की डिमांड कर सकता है। वहीं, चंद्रबाबू नायडू की पार्टी के 18 सांसद चुनाव जीत चुके हैं, वे भी सरकार को समर्थन देने के बदले में अहम मंत्रालय मांग सकते हैं।

भाजपा कैसे निकालेगी हल?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने सहयोगी दलों के साथ समन्वय बनाने की होगी। उन्हें नीतिगत समझौते और अहम मंत्रालयों के आवंटन के जरिए अपने सहयोगियों को संतुष्ट रखना होगा। इसके अलावा, भाजपा को अपने एजेंडे को लागू करने के लिए इन दलों के नेताओं को विश्वास में लेकर चलना होगा।

मोदी और शाह को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सरकार के कोर एजेंडे पर कोई समझौता न हो, जबकि सहयोगी दलों की मांगों को भी पूरा किया जाए। यह संतुलन साधना आसान नहीं होगा, लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी अपने राजनीतिक कौशल और अनुभव से इस चुनौती का सामना कर सकती है।

By khabarhardin

Journalist & Chief News Editor