जयपुर, 14 अक्टूबर 2023: राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती है। इस बार भी पार्टी को सिद्धारमैया vs डीके शिवकुमार की तरह अशोक गहलोत vs सचिन पायलट की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

2020 में गहलोत और पायलट के बीच हुए विवाद ने कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया था। हालांकि, बाद में दोनों ने आपसी मतभेदों को दूर कर लिया और एक साथ काम करने का वादा किया। लेकिन, चुनावों से पहले दोनों नेताओं के बीच तनातनी फिर से शुरू हो गई है।

पायलट ने हाल ही में कहा है कि वह मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

गहलोत ने कहा है कि वह पार्टी के फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि वह पायलट के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।

कांग्रेस के लिए यह एक मुश्किल स्थिति है। अगर पार्टी पायलट को मुख्यमंत्री बनाती है तो गहलोत के समर्थकों में नाराजगी हो सकती है। अगर पार्टी गहलोत को मुख्यमंत्री बनाती है तो पायलट के समर्थक नाराज हो सकते हैं।

इसके अलावा, कांग्रेस को चुनावों में टिकट बंटवारे को लेकर भी परेशानी हो रही है। पायलट ने कहा है कि उन्हें टिकट बंटवारे में उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस चुनौती का सामना कैसे करती है। अगर पार्टी इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना नहीं कर पाती है तो उसे चुनावों में भारी नुकसान हो सकता है।

**विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस को इस चुनौती का सामना करने के लिए एक समझौता करना होगा। पार्टी को दोनों नेताओं को खुश करने की कोशिश करनी होगी।**

**एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “कांग्रेस को एक समझौता करना होगा। पार्टी को दोनों नेताओं को खुश करने की कोशिश करनी होगी। अगर पार्टी ऐसा नहीं कर पाती है तो उसे चुनावों में भारी नुकसान हो सकता है।”**

**दूसरे राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह किसके साथ जाना चाहती है। अगर पार्टी पायलट के साथ जाती है तो उसे गहलोत के समर्थकों को मनाना होगा। अगर पार्टी गहलोत के साथ जाती है तो उसे पायलट के समर्थकों को मनाना होगा।”**

**यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस चुनौती का सामना कैसे करती है।**

By khabarhardin

Journalist & Chief News Editor