Tax on IPL tickets : अरे बाप रे! ये क्या हो रहा है? आईपीएल का बुखार तो सबके सिर चढ़के बोल रहा है, लेकिन अब ये बुखार जेब पर भी भारी पड़ रहा है! धोनी और कोहली, क्रिकेट के दो ऐसे महारथी जिनका मुकाबला देखने के लिए लोग आंखें बिछाए बैठे रहते हैं। कल चेन्नई में इन दोनों टीमों का मैच था, और भाईसाब, टिकट की जो कहानी सामने आई है, उसने तो अच्छे-अच्छों के होश उड़ा दिए हैं।
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सोशल मीडिया पर एक टिकट खूब वायरल हो रही है। देखने में तो ये कागज का एक छोटा सा टुकड़ा है, लेकिन इसकी कीमत जानकर कलेजा मुंह को आ जाए। टिकट का असली दाम, मतलब जो बेस प्राइस है, वो है ₹2343.75। अब सोचो, ढाई हजार के आसपास की टिकट। लेकिन जब ये टिकट दर्शक के हाथ में पहुंची, तो पता चला कि इसके लिए पूरे ₹4000 चुकाने पड़े हैं! ये क्या जादू हो गया? कैसे ₹2343.75 का टिकट ₹4000 का बन गया?
दरअसल, इस टिकट पर टैक्स का ऐसा तिकड़म लगाया गया है कि पूछो मत। एक के ऊपर दूसरा, दूसरे के ऊपर तीसरा! ऐसा लग रहा है जैसे सरकार और क्रिकेट बोर्ड मिलकर दर्शकों की जेब निचोड़ने पर तुले हैं।
टैक्स का ये कैसा गणित?
अब जरा इस टिकट के ब्रेक-अप को ध्यान से देखो। ये गणित ऐसा है कि अच्छे-अच्छे गणितज्ञ भी अपना सिर खुजलाने लगें।
- बेसिक प्राइस: ₹2343.75
- एंटरटेनमेंट टैक्स (मनोरंजन कर): ₹781.25 (ये सीधा-सीधा 25% ठोक दिया!)
- सबटोटल (कुल योग): ₹3125.00 (मतलब, टैक्स लगने के बाद टिकट ₹3125 की हो गई)
- CGST (केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर): ₹437.50 (इस सबटोटल पर फिर 14% जीएसटी!)
- SGST (राज्य वस्तु एवं सेवा कर): ₹437.50 (और फिर राज्य सरकार का भी 14% जीएसटी!)
- टोटल प्राइस (कुल कीमत): ₹4000.00
मतलब, जिस टिकट का असली दाम ₹2343.75 था, उसके लिए दर्शक को पूरे ₹4000 देने पड़े। अगर सीधे-सीधे हिसाब लगाया जाए, तो ₹1656.25 सिर्फ टैक्स के नाम पर वसूले गए! इसमें ₹781.25 तो एंटरटेनमेंट टैक्स है, और बाकी ₹875 जीएसटी है।
टैक्स पर भी टैक्स! ये तो सरासर नाइंसाफी है!
अब जो सबसे बड़ी बात है, जिस पर लोग अपना गुस्सा निकाल रहे हैं, वो ये है कि जीएसटी टिकट के बेस प्राइस पर नहीं लगा है। ये उस रकम पर लगा है जिसमें पहले से ही एंटरटेनमेंट टैक्स जुड़ा हुआ है। मतलब, आपने पहले एंटरटेनमेंट के नाम पर टैक्स दिया, और फिर उस टैक्स वाली रकम पर भी जीएसटी भर दिया! ये तो ऐसा हुआ जैसे पहले लाठी मारी और फिर उस चोट पर नमक लगा दिया।
सोशल मीडिया पर तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। कोई कह रहा है कि ये तो खुली लूट है, तो कोई सरकार और क्रिकेट बोर्ड को खरी-खोटी सुना रहा है। फैंस का कहना है कि वो क्रिकेट देखने के लिए पैसा दे रहे हैं, लेकिन ये टैक्स पर टैक्स क्यों? क्या सांस लेने पर भी टैक्स लगेगा?
एक्सपर्ट्स ने भी पकड़ी गड़बड़ी!
इस पूरे मामले पर एक्सपर्ट्स भी अपनी राय रख रहे हैं। efiletax नाम के एक यूजर ने तो इस टिकट का पूरा पोस्टमार्टम ही कर डाला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि “आप सिर्फ मैच देखने के लिए पैसे नहीं दे रहे हैं। आप एक ऐसी नीति को भी फंड कर रहे हैं जिसमें टैक्स में छूट मिलती है।” उनका सीधा-सीधा इशारा यही था कि ये जो टैक्स पर टैक्स लग रहा है, ये कहीं न कहीं सिस्टम की खामी है।
efiletax ने आगे ये भी कहा कि जीएसटी तो सीधे बेस वैल्यू पर लगना चाहिए। लेकिन जब राज्य सरकारें पहले ही एंटरटेनमेंट टैक्स लगा देती हैं, तो जीएसटी उस बढ़ी हुई रकम पर भी लग जाता है। उन्होंने इसे एक तरह की गड़बड़ी बताया है, जिसे सुधारने की जरूरत है।
दूसरे देशों में क्या है हाल?
अब जरा दूसरे देशों का भी हाल जान लो। efiletax यूजर ने ही इसकी तुलना दूसरे देशों से की है, और जानकर हैरानी होगी कि वहां सिस्टम इतना पेचीदा नहीं है।
- अमेरिका: वहां तो ज्यादातर जगहों पर कोई जीएसटी ही नहीं लगता। हां, कभी-कभार एंटरटेनमेंट टैक्स जरूर लगता है, लेकिन वो भी इतना ज्यादा नहीं होता।
- ब्रिटेन: यहां पर तो सीधा-साधा 20% का फ्लैट वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) लगता है। कोई टैक्स पर टैक्स का झंझट नहीं।
- इंडिया: और यहां देखो! पहले एंटरटेनमेंट टैक्स, और फिर उसके ऊपर जीएसटी! ये सिस्टम वाकई में समझ से परे है।
efiletax ने सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में टिकट पर लगने वाला ये टैक्स सिर्फ क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है। आप कोई कॉन्सर्ट देखने जाओ, स्टैंड-अप कॉमेडी शो में जाओ, या किसी फेस्टिवल में हिस्सा लो, हर जगह यही कहानी है। मतलब, मनोरंजन करना भी आजकल महंगा हो गया है, और इसकी वजह है ये टैक्स का मकड़जाल।
यूजर्स ने उठाए सिस्टम पर सवाल!
सोशल मीडिया पर तो यूजर्स ने भारत के टैक्स सिस्टम को जमकर लताड़ा है। efiletax ने अपनी पोस्ट के आखिर में लिखा, “तो आपका ₹4,000 का टिकट? आप मैच के लिए भी पैसे दे रहे हैं और एक ऐसे टैक्स सिस्टम के लिए भी जो चुपचाप आपकी जेब ढीली कर रहा है। अगली बार कोई कहे कि GST ने टैक्स को आसान बना दिया है… तो बस उसे यह टिकट दिखा देना।”
रवि हांडा नाम के एक और यूजर ने तो इसे TIL (Today I Learned) बताते हुए लिखा कि “आज मुझे पता चला कि आईपीएल की टिकट पर 70 फीसदी से ज्यादा टैक्स है!” ये आंकड़ा सुनकर तो किसी के भी होश उड़ जाएं।
कई और यूजर्स भी इसी तरह अपनी नाराजगी जता रहे हैं। उनका सीधा सा सवाल है कि जब हम एक चीज पर पहले से ही टैक्स दे रहे हैं, तो उस टैक्स पर दोबारा टैक्स क्यों देना पड़ रहा है? क्या सरकार को हमारी जेब का बिल्कुल भी ख्याल नहीं है?
क्या होगा इसका असर?
अब सवाल ये उठता है कि इस तरह से टैक्स पर टैक्स लगने का क्या असर होगा? जाहिर सी बात है, टिकटें महंगी होंगी तो आम आदमी के लिए मैच देखना मुश्किल हो जाएगा। जो लोग बड़ी मुश्किल से थोड़ा पैसा बचाकर अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को खेलते हुए देखने का सपना देखते हैं, उनके लिए ये एक बड़ा झटका है।
कहीं ऐसा न हो कि टिकटों की इतनी ज्यादा कीमत होने की वजह से स्टेडियम खाली रह जाएं। हालांकि धोनी और कोहली जैसे खिलाड़ियों के मैच में तो शायद ही ऐसा हो, लेकिन बाकी मैचों पर तो इसका असर पड़ सकता है।
दूसरा पहलू ये भी है कि अगर सरकार और क्रिकेट बोर्ड इस तरह से टैक्स वसूलते रहेंगे, तो लोगों का मनोरंजन के प्रति रुझान कम हो सकता है। हर कोई अपनी जेब देखकर ही खर्च करेगा।
अब आगे क्या?
अब देखना ये है कि इस पूरे बवाल के बाद सरकार और क्रिकेट बोर्ड क्या कदम उठाते हैं। क्या वो इस टैक्स सिस्टम में कोई बदलाव करेंगे? क्या दर्शकों की परेशानी को समझा जाएगा? या फिर ये टैक्स का ट्रिपल अटैक ऐसे ही जारी रहेगा?
फिलहाल तो धोनी और कोहली के मैच की इस टिकट ने सोशल मीडिया पर आग लगा रखी है। हर कोई इस टैक्स के गणित को समझकर हैरान है और अपना गुस्सा जाहिर कर रहा है। ये तो साफ है कि दर्शकों को अब इस टैक्स के बोझ से राहत चाहिए, ताकि वो बिना अपनी जेब खाली किए अपने पसंदीदा खेल का आनंद ले सकें।
ये तो बस शुरुआत है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी बातें होंगी, और देखना दिलचस्प होगा कि इसका क्या नतीजा निकलता है। तब तक तो यही कह सकते हैं कि धोनी-कोहली का मैच देखना महंगा जरूर हो गया है, लेकिन इन दो दिग्गजों का जलवा देखने के लिए फैंस शायद ये टैक्स का दर्द भी सह लें। लेकिन अंदर ही अंदर तो सबको यही लग रहा होगा कि “ये तो सरासर लूट है!”