Arun Govil On Adipurush: ‘आदिपुरुष’ पर निकाली ‘रामायण’ के ‘राम’ ने अपनी भड़ास, कहा- आस्था से छेड़छाड़ सही नहींArun Govil On Adipurush: ‘आदिपुरुष’ पर निकाली ‘रामायण’ के ‘राम’ ने अपनी भड़ास, कहा- आस्था से छेड़छाड़ सही नहीं

Arun Govil On Adipurush: अरुण गोविल ने आदिपुरुष के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा है कि रामायण एक आस्था का विषय है और उसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। उनके मुताबिक राम-सीता को आधुनिकता और पौराणिकता के ढांचे में बांटना गलत है।

आरंभ में रामानंद सागर की रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल ने इस विवाद में भी अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा है कि दर्शकों ने अपने मत प्रकट कर दिए हैं। रामायण भारतीय संस्कृति का धरोहर है और इसलिए उसे लेकर जो बातें कहीं जा रही हैं, वह उसे नुकसान पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा कि रामायण की मूल भावना और स्वरूप को इस तरह से बदलने की आवश्यकता नहीं थी।

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उनके अनुसार, रामायण हमारे लिए एक आस्था और विश्वास का विषय है और उसके साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की जाने वाली बात स्वीकार्य नहीं है। वह कहते हैं कि रामायण को आधुनिकता और पौराणिकता की दृष्टि से देखना गलत है, यद्यपि फिल्म में विशेष प्रभाव और प्रस्तुति की बात अलग है। हालांकि, वह इस बात पर जोर देते हैं कि कैरेक्टर्स को सही ढंग से प्रस्तुत करना आवश्यक है, लेकिन रामायण को लेकर जो बातें चल रही हैं, वह चिंता का विषय है।

अरुण गोविल ने उर्जित ढांचे में कहा है कि राम-सीता-हनुमान को आधुनिकता और पौराणिकता के ढांचे में बांटना गलत है। वे कहते हैं कि ये सभी आदि हैं, अनंत हैं और इन सबके स्वरूप पहले से निश्चित हैं, इसलिए उन्हें फिल्म में उनीत ढंग से प्रदर्शित करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि आदिपुरुष में रामायण की कहानी को प्रस्तुत करने से पहले, निर्माताओं को सोचना चाहिए था कि वे लोगों की आस्था के संबंध में रामायण को कैसे प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

अरुण गोविल ने कहा है कि रामायण एक आस्था का विषय है और उसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न की जाए. उनके मुताबिक राम-सीता को आधुनिकता और पौराणिकता के ढांचे में बांटना गलत है. आदिपुरुष को लेकर अब रामानंद सागर की रामायण में राम का किरदार अदा करने वाले अरुण गोविल ने भी अपनी राय पेश की है. उन्होंने कहा कि दर्शकों ने अपनी बात कह दी है… रामायण भारतीय संस्कृति की धरोहर है और अब उसे लेकर (फिल्म को) जिस तरह से बातें की जा रही हैं, उसे जानकर काफी ठेस लगी है, रामायण की मूल भावना और स्वरूप को इस तरह से बदलने की जरूरत नहीं थी.

आस्था के साथ न की जाए छेड़छाड़ : Arun Govil

अरुण गोविल के मुताबिक रामायण हमारे लिए एक आस्था और भरोसे का विषय है और उसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की जाए, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है. रामायण को लेकर आधुनिकता या पौराणिकता की बात कहना गलत है, फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स और प्रेजेंटेशन की बात अलग है, लेकिन कैरेक्टर्श को सही तरीके से पेश करना जरूरी है हालांकि उसे लेकर जो बातें कहीं जा रही है, वो चिंता की बात है.

फिल्म को लेकर जो बातें कही जा रही हैं, वो चिंता की बात है: Arun Govil

अरुण गोविल ने कहा कि रामायण हमारे लिए एक आस्था और भरोसे क विषय है और उसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ की जाए, तो यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है। फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स और प्रेजेंटेशन की बात अलग है, लेकिन किरदारों को सही तरीके से पेश करना जरूरी है, हालांकि फिल्म को लेकर जो बातें कही जा रही हैं, वो चिंता की बात है।

‘राम-सीता-हनुमान को आधुनिकता के ढांचे में बांटना गलत है’- Arun Govil

अरुण ने आगे कहा- ‘राम-सीता-हनुमान को आधुनिकता और पौराणिकता के ढांचे में बांटना गलत है। इस सभी के स्वरूप पहले से तय है, तो उसी स्वरूप को फिल्म में दिखाने में क्या आपत्ति थी? अरुण ने कहा कि आदिपुरुष में रामायण की कहानी को पेश करने से पहले मेकर्स को सोचना था कि वो किस तरह से रामायण को पेश करने जा रहे हैं। रामायण में इस तरह की भाषा का मैं समर्थन नहीं करता और रामायण को हॉलीवुड से प्रेरित होकर कार्टून फिल्म की तरह दिखाना हजम नहीं होता।’

अरुण ने आगे कहा कि राम-सीता-हनुमान को आधुनिकता और पौराणिकता के ढांचे में बांटना गलत है… ये सभी आदि भी हैं, अनंत हैं और इन सबके स्वरूप पहले से तय हैं तो उसी स्वरूप को फिल्म में दिखाने में क्या आपत्ति थी? अरुण ने कहा कि आदिपुरुष में रामायण की कहानी को पेश करने से पहले मेकर्स को सोचना था कि वो किस तरह से लोगों की आस्था के विषय से जुड़ी रामायण को पेश करने जा रहे हैं.

By khabarhardin

Journalist & Chief News Editor