पिछले कुछ दिनों से राजस्थान में विभागों के अधिकारियों के प्रमोशन और नियुक्तियों पर विवाद चल रहा है। इस विवाद का केंद्र बने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की चार अफसरों की नियुक्तियों की घटना है, जिन्हें मौजूदा सरकार ने नियम विरुद्ध बताया है। यह घटना न केवल नियमों की धज्जियां उड़ाती है, बल्कि नौकरियों के प्रमोशन प्रक्रिया में भी संदेह जताती है।
प्रताप सिंह खाचरियावास, जो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मंत्री थे, विभिन्न विभागों में नियुक्त करने के बाद अब प्रत्येक नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं। इन नियुक्तियों में एक अजीब और असामान्य पैटर्न नजर आ रहा है – चारों अफसरों ने चार साल में तीन प्रमोशन प्राप्त किए हैं। इस घटना ने सरकारी विभागों में हलचल मचा दी है और राज्य के प्रशासनिक विस्तार को चुनौती दी है।
प्रताप सिंह खाचरियावास के द्वारा नियुक्त किए गए चार अफसरों का नामांकन भी विवाद का विषय बना है। इन अफसरों के नाम निम्नलिखित हैं:
- प्रतीक सोनी – सहायक अभियंता
- संध्या सोनी – कनिष्ठ अभियंता
- भूपराज जाटव – सहायक अभियंता
- जितेंद्र सचदेवा – सहायक अभियंता
इन चारों अफसरों की नियुक्तियों में संदेह का सामना करने के बावजूद, उन्हें मौजूदा सरकार द्वारा अधिकारियों के प्रमोशन के संबंध में नियम विरुद्ध नामंकित किया गया है।
प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए. सावंत ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए इन सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। इसके बाद सरकार ने नई प्रक्रिया के तहत उपभोक्ता मामला विभाग में नियुक्त करने का निर्णय लिया है।
इस घटना को लेकर विभागीय अधिकारियों और राजनीतिक दलों के बीच भी बहस हो रही है। विपक्षी दल इसे एक और उदाहरण मानकर उनकी आलोचना कर रहे हैं, जबकि सत्ताधारी दल इसे एक कठिन प्रक्रिया के तहत निर्णय का बड़ा कदम बता रहे हैं।
इसके अलावा, यह घटना बिजली निगम के कर्मचारियों के बीच में भी आशंका का विषय बन गई है। उनका कहना है कि ऐसे प्रकार के प्रमोशन के मामले में नियमों की धज्जियां उड़ने से विभाग में विश्वासघात हो रहा है। इससे कर्मचारियों के बीच नाराजगी की माहौल बन सकती है और कार्य को प्रभावित कर सकता है।