जयपुर। राजस्थानी सिनेमा जगत में इन दिनों एक नई हलचल देखने को मिल रही है। आगामी फिल्म “भरखमा” की रिलीज से पहले ही एक बवाल खड़ा हो गया है। फिल्म के कलाकारों ने जयपुर की सड़कों पर एक अभूतपूर्व पैदल मार्च निकाला, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या राजस्थानी सिनेमा को उसका हक़ और सम्मान मिल पाएगा?
इस पैदल मार्च में कलाकारों के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग भी शामिल हुए, जिन्होंने राजस्थानी भाषा और सिनेमा के समर्थन में नारे लगाए। यह मार्च त्रिवेणी नगर से शुरू होकर रिद्धि-सिद्धि स्थित होटल सफारी तक पहुंचा, जहां फिल्म का ट्रेलर लॉन्च किया गया।
इस आयोजन के जरिए कलाकारों ने राजस्थानी सिनेमा की अनदेखी और उपेक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि राजस्थानी भाषा में बनी फिल्में अक्सर मुख्यधारा के सिनेमा से दूर रह जाती हैं और उन्हें उचित मंच नहीं मिल पाता। “भरखमा” के कलाकारों ने इस पैदल मार्च के माध्यम से सरकार और जनता दोनों से अपील की है कि वे राजस्थानी सिनेमा को बढ़ावा दें और उसे वह सम्मान दिलाएं जिसका वह हकदार है।
फिल्म में अहम भूमिका निभा रहे राजस्थान के मशहूर अभिनेता राजवीर गुर्जर बस्सी ने कहा, “हम सालों से राजस्थानी सिनेमा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारी भाषा, हमारी संस्कृति को बड़े पर्दे पर देखने का हक़ हर राजस्थानी को है। ‘भरखमा’ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और हमें उम्मीद है कि लोग इसे अपना समर्थन देंगे।”
अभिनेत्री अंजलि राघव ने कहा, “यह मेरी पहली राजस्थानी फिल्म है और मुझे गर्व है कि मैं इसका हिस्सा हूं। राजस्थानी सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान के सभी कलाकारों को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी।”
इस पैदल मार्च ने राजस्थानी सिनेमा के भविष्य को लेकर एक बहस छेड़ दी है। क्या यह आयोजन राजस्थानी सिनेमा के लिए एक नए युग की शुरुआत साबित होगा? क्या सरकार और जनता कलाकारों की इस अपील पर ध्यान देंगी? क्या “भरखमा” राजस्थानी सिनेमा के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब आने वाले समय में ही मिलेंगे। लेकिन इतना तय है कि इस पैदल मार्च ने राजस्थानी सिनेमा के लिए एक नई उम्मीद जगा दी है।