India Pak War : भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके बाद पाकिस्तान की जवाबी धमकियों ने दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच युद्ध की आशंका को गहरा कर दिया है। अगर दुर्भाग्य से दोनों देशों के बीच पूर्णकालिक युद्ध छिड़ जाता है, तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि सबसे पहले कौन से इलाके इसकी विनाशकारी चपेट में आएंगे? विशेषज्ञों की मानें तो सीमावर्ती क्षेत्र, सैन्य ठिकाने और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर सबसे अधिक खतरे में होंगे।
सीमावर्ती क्षेत्र: सीधे संघर्ष का मैदान
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबी और जटिल सीमा रेखा है, जो कई संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरती है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाके हमेशा से ही दोनों देशों के बीच तनाव के केंद्र रहे हैं। युद्ध की स्थिति में, ये इलाके सीधे तौर पर संघर्ष का मैदान बन जाएंगे। यहां दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने होंगी, जिससे भारी गोलाबारी, हवाई हमले और टैंकों की लड़ाई होने की संभावना है।
- जम्मू-कश्मीर: नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) के आसपास के इलाके जैसे पुंछ, राजौरी, बारामूला, उरी और जम्मू सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। यहां गांवों और कस्बों में रहने वाले आम नागरिक भी क्रॉसफायर और विस्थापन का शिकार हो सकते हैं।
- पंजाब: वाघा-अटारी सीमा, गुरदासपुर, फिरोजपुर और फाजिल्का जैसे सीमावर्ती जिले युद्ध की शुरुआती चपेट में आ सकते हैं। यहां महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान भी मौजूद हैं, जो दुश्मन के निशाने पर रहेंगे।
- राजस्थान: जैसलमेर, बाड़मेर और श्रीगंगानगर जैसे सीमावर्ती जिले भी संभावित संघर्ष क्षेत्र हो सकते हैं। यहां रेगिस्तानी इलाकों में टैंकों और हवाई हमलों का खतरा बढ़ जाएगा।
सैन्य ठिकाने: दुश्मन का पहला निशाना
युद्ध की स्थिति में, दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश करेंगी। इनका उद्देश्य दुश्मन की युद्धक क्षमता को कमजोर करना होगा।
- वायुसेना स्टेशन: पठानकोट, श्रीनगर, अवंतीपोरा, भटिंडा, सिरसा (भारत) और सरगोधा, कामरा, फैसलाबाद (पाकिस्तान) जैसे वायुसेना स्टेशन दुश्मन के हवाई हमलों का पहला निशाना हो सकते हैं। इन ठिकानों पर लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य साजो-सामान मौजूद होते हैं।
- थल सेना के ठिकाने: छावनियां, हथियार डिपो और सैन्य मुख्यालय दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लक्ष्य होंगे।
- नौसेना के ठिकाने: मुंबई, विशाखापत्तनम, कोच्चि (भारत) और कराची, ग्वादर (पाकिस्तान) स्थित नौसेना के अड्डे भी दुश्मन के हमलों के खतरे में रहेंगे, खासकर यदि समुद्री लड़ाई छिड़ती है।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर: आर्थिक और प्रशासनिक केंद्र
सैन्य ठिकानों के अलावा, दोनों देश एक-दूसरे के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों को भी निशाना बना सकते हैं। इनका उद्देश्य दुश्मन की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाना और प्रशासनिक ढांचे को कमजोर करना होगा।
- भारत: दिल्ली (राजनीतिक केंद्र), मुंबई (आर्थिक राजधानी), श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी), चंडीगढ़ (महत्वपूर्ण प्रशासनिक और औद्योगिक केंद्र) और प्रमुख औद्योगिक शहर दुश्मन के मिसाइल हमलों का निशाना बन सकते हैं।
- पाकिस्तान: इस्लामाबाद (राजनीतिक राजधानी), कराची (सबसे बड़ा शहर और आर्थिक केंद्र), लाहौर (सांस्कृतिक और औद्योगिक केंद्र), रावलपिंडी (सैन्य मुख्यालय) और फैसलाबाद (महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर) संभावित लक्ष्यों में शामिल हो सकते हैं।
विनाश के हथियार: खतरा और दायरा
अगर युद्ध लंबा खिंचता है और दोनों देश हताशा में विनाश के बड़े हथियारों का इस्तेमाल करने का फैसला करते हैं, तो तबाही का दायरा और भी व्यापक हो जाएगा। मिसाइलें सैकड़ों किलोमीटर तक मार कर सकती हैं और घनी आबादी वाले शहरों को भी निशाना बना सकती हैं। परमाणु हथियारों का इस्तेमाल तो अकल्पनीय विनाश का कारण बन सकता है, जिससे दोनों देशों के प्रमुख शहर पल भर में खंडहर में तब्दील हो सकते हैं।
निष्कर्ष: सीमावर्ती क्षेत्र सबसे अधिक असुरक्षित
हालांकि युद्ध की स्थिति में किसी भी क्षेत्र को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं कहा जा सकता, लेकिन सीमावर्ती इलाके सबसे अधिक असुरक्षित होंगे। यहां सीधे संघर्ष की संभावना सबसे अधिक है और आम नागरिकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सैन्य ठिकाने और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर भी दुश्मन के निशाने पर रहेंगे। युद्ध की त्रासदी किसी भी देश के लिए विनाशकारी होती है, और भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो दोनों देशों को अपूरणीय क्षति हो सकती है। इसलिए, कूटनीति और बातचीत ही इस तनाव को कम करने और शांति बनाए रखने का एकमात्र विकल्प है।