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Elections 2024: CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी ने दिल्ली में हुई तीन दिवसीय बैठक के बाद केंद्रीय समिति के सदस्यों से कहा कि पश्चिम बंगाल की स्थिति बाकी राज्यों से अलग है. विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA के तहत 2024 लोकसभा चुनाव के लिए देशभर में बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाई जा रही है. इसके तहत एक सीट एक उम्मीदवार के फॉर्मूले पर भी काम हो रहा है, यानी जिस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार उतरेगा उस पर विपक्ष की तरफ से भी एक उम्मीदवार होगा…लेकिन अब पश्चिम बंगाल में ये फॉर्मूला टूटता हुआ नजर आ रहा है. यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की केंद्रीय समिति ने अपनी पश्चिम बंगाल इकाई को 2024 के लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की इजाजत दी है. जिसे विपक्षी एकता के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.

टीएमसी के साथ गठबंधन से इनकार

हिंदुस्तान टाइम्स ने सीपीआई (एम) के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने दिल्ली में हुई तीन दिवसीय बैठक के बाद केंद्रीय समिति के सदस्यों से कहा कि बंगाल में जमीनी हकीकत बाकी राज्यों से काफी अलग है. इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी को अलग-थलग करना विपक्षी गठबंधन का एकमात्र उद्देश्य है, लेकिन सीपीआई (एम) पश्चिम बंगाल में टीएमसी की सहयोगी नहीं बन सकती है.

पश्चिम बंगाल पर बीजेपी की नजरें

ममता बनर्जी के गढ़ पश्चिम बंगाल में बीजेपी सेंधमारी की कोशिश लगातार करती आई है, 2019 के चुनाव में इस बात का एक उदाहरण देखने को मिला था. अब बीजेपी ने 2024 में पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. यानी 2019 के मुकाबले बीजेपी 18 ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही है.

कांग्रेस भी बना सकती है दूरी

एचटी की रिपोर्ट में सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य और बंगाल राज्य सचिव एमडी सलीम के हवाले से बताया गया है कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में टीएमसी विरोधी वोटों को सीधे अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम लोग ऐसा नहीं होने देंगे. पश्चिम बंगाल को लेकर पार्टी ने फैसला कर लिया है. बताया जा रहा है कि अब कांग्रेस भी पश्चिम बंगाल में इसी तरह की रणनीति अपना सकती है. जिससे विपक्षी एकता में फूट का खतरा मंडरा रहा है.

बता दें कि 2011 के विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने 34 साल पुरानी वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका था. इस दौरान ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ गठबंधन में थी, लेकिन बाद में कांग्रेस सरकार से बाहर हो गई. कांग्रेस के एक नेता ने एचटी को बताया कि हमने 2014 के बाद से सभी चुनाव टीएमसी के खिलाफ लड़े हैं. ऐसे में गठबंधन से बीजेपी को ही फायदा मिलेगा. सभी टीएमसी विरोधी वोट बीजेपी की झोली में जा सकते हैं. टीएमसी का विरोध करने वाले लोग गठबंधन करने के बाद हमें भी वोट नहीं देंगे. कांग्रेस नेता ने बताया की राष्ट्रीय स्तर पर भी इस बात को लेकर मंथन चल रहा है.

By khabarhardin

Journalist & Chief News Editor