नई दिल्ली: राजनीति में ‘यू-टर्न’ कोई नई बात नहीं, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सबूत सामने आते ही जिस तरह विपक्ष ने पलटी मारी है, वो वाकई देखने लायक है! मानो ‘यू-टर्न एक्सप्रेस’ की रफ्तार भी इनके आगे धीमी पड़ गई हो। जो नेता कल तक सरकार से सबूत मांग रहे थे, आज सबूत मिलते ही पानी-पानी हो गए हैं।
पहलगाम हमले के बाद जब सरकार ने सीमा पार आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ किया, तो कुछ विपक्षी नेताओं ने तुरंत सवाल उठाने शुरू कर दिए। उनका कहना था कि सरकार बिना सबूत दिखाए कैसे कार्रवाई कर सकती है? उन्हें जनता को दिखाने के लिए सबूत चाहिए थे। लेकिन, जैसे ही पाकिस्तान ने खुद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नुकसान के सबूत पेश किए, विपक्ष के सारे तर्क धरे के धरे रह गए।
पाकिस्तानी मीडिया में ऑपरेशन के दौरान हुए नुकसान की तस्वीरें और वीडियो दिखाए गए। पाकिस्तानी अधिकारियों ने भी सार्वजनिक रूप से इस ऑपरेशन की पुष्टि की। इन सबूतों ने विपक्ष को निरुत्तर कर दिया। जो नेता कल तक सरकार को घेर रहे थे, आज उनके पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचा।
विपक्ष का ‘यू-टर्न’: क्यों हुआ ऐसा?
- पाकिस्तान के सबूत: पाकिस्तान द्वारा खुद नुकसान की पुष्टि करने के बाद, विपक्ष के पास सरकार पर सवाल उठाने का कोई आधार नहीं बचा।
- जनता का दबाव: देश की जनता सरकार के साथ खड़ी है। विपक्ष को यह एहसास हुआ कि इस मुद्दे पर राजनीति करना उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। विपक्ष को यह समझना पड़ा कि इस समय सरकार का समर्थन करना ही बेहतर है।
विपक्ष की खामोशी:
पाकिस्तान के सबूत सामने आने के बाद, विपक्ष की खामोशी देखने लायक है। जो नेता कल तक टीवी चैनलों पर बहस कर रहे थे, आज चुपचाप बैठे हैं। मानो किसी ने उनकी जुबान पर ताला लगा दिया हो।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय:
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष ने यह ‘यू-टर्न’ जनता के दबाव में आकर लिया है। उन्हें यह एहसास हो गया है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करना उनके लिए भारी पड़ सकता है।
आगे क्या?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सबूतों ने विपक्ष को पानी-पानी कर दिया है। अब देखना यह है कि विपक्ष इस हार से कैसे उबरता है और आगे क्या रणनीति अपनाता है। लेकिन एक बात तो तय है, ‘यू-टर्न एक्सप्रेस’ की रफ्तार ने विपक्ष को बुरी तरह से पछाड़ दिया है।