सियासत भी क्या रंग दिखाती है, गिरगिट भी शरमा जाए! अभी दो दिन पहले जो नेताजी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार को घेर रहे थे, सबूत मांग रहे थे, अब देखो तो कैसे पलटी मार गए! पाकिस्तान ने जैसे ही अपने यहां हुई ‘सिंदूर’ की तबाही के सबूत दुनिया को दिखाए, वैसे ही अपने यहां के कुछ विपक्षी सूरमाओं के सुर एकदम से बदल गए। मानो किसी ने जादू की छड़ी घुमा दी हो!
याद है न, पहलगाम में जब आतंकियों ने कायराना हरकत की थी, तो सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और सीमा पार उनके ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कर डाला। उस टाइम तो सबने कहा था कि देश के साथ हैं, सरकार जो भी फैसला लेगी, हम साथ देंगे। लेकिन फिर धीरे-धीरे कुछ नेताओं की खुजली शुरू हो गई। कहने लगे, “क्या सबूत है? हमें दिखाओ क्या मारा, कहां मारा?” मतलब, जब देश पर आंच आई तो एकता दिखाने की बजाय उनको सबूतों की पड़ी थी!
लेकिन देखो कुदरत का इंसाफ! जिनको हम सबूत मांग रहे थे, वो सबूत तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने खुद ही दे दिया। उनके टीवी चैनलों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद जो नुकसान हुआ, उसकी तस्वीरें और वीडियो धड़ाधड़ चलने लगे। कहीं मिसाइल से उड़ाए गए आतंकी कैंप दिख रहे थे, तो कहीं धमाकों से तबाह हुई इमारतें। पाकिस्तानी सरकार और सेना के बड़े-बड़े अफसरों ने भी कैमरे के सामने आकर कबूल किया कि हां, भारत ने हमला किया है और हमारे यहां इतना नुकसान हुआ है।
बस फिर क्या था! जैसे ही ये सबूत पब्लिक हुए, अपने यहां के जो विपक्षी नेता सरकार को कोस रहे थे, उनकी तो बोलती ही बंद हो गई। जो कल तक सबूत-सबूत चिल्ला रहे थे, आज उनके मुंह में दही जम गया। धीरे-धीरे सबके सुर बदलने लगे। अब वही नेता कहने लगे कि सरकार ने जो किया, वो सही किया। आतंकियों को तो सबक सिखाना ही चाहिए। वाह भाई वाह! क्या पलटी मारी है!
अब सवाल ये उठता है कि क्या ये नेता वाकई में सुधर गए हैं, या ये सिर्फ डैमेज कंट्रोल कर रहे हैं? क्योंकि जब पाकिस्तान खुद ही कबूल कर रहा है कि उनके यहां आतंकियों के ठिकाने उड़ाए गए हैं, तो फिर अपने यहां के नेताओं के पास सरकार पर उंगली उठाने का क्या बहाना बचा?
कुछ लोग तो ये भी कह रहे हैं कि विपक्ष को अब समझ में आ गया है कि इस मुद्दे पर राजनीति करना उनको ही महंगा पड़ सकता है। देश की जनता देख रही है कि कौन कब क्या बोल रहा है। जब देश की सुरक्षा का सवाल आता है, तो लोग एकजुट होना चाहते हैं, और ऐसे में जो नेता फूट डालने की कोशिश करते हैं, उनको जनता कभी माफ नहीं करती।
खैर, जो भी हो, फिलहाल तो विपक्षी नेताओं के बदले हुए सुर देखकर थोड़ा सुकून मिला है। कम से कम इस मुद्दे पर तो सब एक साथ दिख रहे हैं। उम्मीद है कि आगे भी ये एकता बनी रहेगी और देश की सुरक्षा के मामलों में सब मिलकर काम करेंगे। क्योंकि आखिर में, देश सबसे पहले है, और राजनीति तो चलती रहेगी!