दिल्ली : पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक ऐसी खामोश लेकिन बेहद असरदार जंग छेड़ दी है, जिससे पड़ोसी मुल्क की अर्थव्यवस्था हर रोज अरबों रुपये स्वाहा कर रही है। यह कोई पारंपरिक युद्ध नहीं है, जिसमें गोलियां और बम बरस रहे हों, बल्कि एक ऐसा ‘साइलेंट अटैक’ है, जिसने पहले से ही कंगाली की मार झेल रहे पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है और वहां चीखें निकल रही हैं।
दरअसल, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें कूटनीतिक दबाव, व्यापारिक प्रतिबंध और सीमा पर सैन्य तैयारी शामिल है। इस रणनीति का सबसे बड़ा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। हालात यह हैं कि परमाणु हमले की धमकी देने वाला पाकिस्तान अब अपनी सैन्य तैयारियों और हाई अलर्ट पर रहने के लिए ही हर रोज लगभग 4 अरब पाकिस्तानी रुपये (तकरीबन 13 मिलियन अमेरिकी डॉलर) खर्च करने को मजबूर है।
आर्थिक बदहाली में सैन्य खर्च का बोझ
पाकिस्तान पहले से ही गहरे आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाली किस्तों पर उसकी उम्मीदें टिकी हुई हैं। ऐसे में, भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच सीमा पर सैनिकों की तैनाती, लड़ाकू विमानों की उड़ानें और अन्य सैन्य साजो-सामान की व्यवस्था करना पाकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ा वित्तीय बोझ साबित हो रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान का सालाना सैन्य बजट करीब 7.5 अरब डॉलर है। लेकिन भारत के साथ मौजूदा तनाव के कारण सिर्फ हाई अलर्ट पर रहने का मासिक खर्च ही लगभग 400 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। यह उस देश के लिए एक असहनीय बोझ है, जो पहले से ही पाई-पाई को मोहताज है।
भारत का ‘साइलेंट अटैक’: एक बहुआयामी रणनीति
भारत ने पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए कई मोर्चों पर काम किया है:
- व्यापारिक प्रतिबंध: भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के आयात और निर्यात पर रोक लगा दी है। इससे पाकिस्तान के व्यापार को भारी नुकसान हुआ है और उसकी विदेशी मुद्रा आय में कमी आई है।
- जल समझौता पर दबाव: सिंधु जल समझौते को रद्द करने की चर्चा ने पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन इस संभावना ने पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
- बंदरगाहों पर प्रतिबंध: भारतीय बंदरगाहों पर पाकिस्तानी जहाजों की एंट्री बैन कर दी गई है, जिससे पाकिस्तान के समुद्री व्यापार पर असर पड़ा है।
- नागरिकों की आवाजाही पर रोक: पाकिस्तानी नागरिकों के भारत आने पर प्रतिबंध लगाने से दोनों देशों के बीच लोगों का संपर्क कम हुआ है, जिसका अप्रत्यक्ष आर्थिक असर भी पड़ रहा है।
- सोशल मीडिया पर कार्रवाई: बिलावल भुट्टो और इमरान खान जैसे प्रमुख पाकिस्तानी हस्तियों के सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करना भी कूटनीतिक दबाव का हिस्सा माना जा रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर घेराबंदी: भारत ने FATF जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ अपनी कूटनीतिक पकड़ मजबूत की है, जिससे पाकिस्तान को वित्तीय सहायता मिलने में कठिनाई हो रही है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलगाव
भारत की इस रणनीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलगाव है। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक बंद कमरे की बैठक बुलाई थी ताकि वह अन्य देशों से सहानुभूति बटोर सके, लेकिन वहां भी उसे निराशा हाथ लगी। स्थायी सदस्य देशों ने न केवल आतंकी हमले की निंदा की, बल्कि धर्म के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाने के मुद्दे पर भी पाकिस्तान को घेरा। यहां तक कि चीन जैसे उसके करीबी माने जाने वाले देश ने भी उसका खुलकर साथ नहीं दिया।
निष्कर्ष: पाकिस्तान पर बढ़ता दबाव
भारत ने बिना किसी बड़े सैन्य अभियान के पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बना दिया है। आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान हर रोज अरबों रुपये खर्च करने को मजबूर है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसे समर्थन मिलना भी मुश्किल हो रहा है। यह ‘साइलेंट अटैक’ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोखला कर रहा है और वहां चीखें सुनाई देने लगी हैं। अब देखना यह है कि पाकिस्तान इस बढ़ते दबाव के आगे कब तक टिक पाता है और क्या वह अपनी नीतियों में कोई बदलाव लाता है। फिलहाल, भारत की यह रणनीति पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर करती दिख रही है।