भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में मौतों के आंकड़ों को लेकर भारी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के दावों में बड़ा अंतर सामने आया है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या पाकिस्तान जानबूझकर मौतों के सही आंकड़े छुपा रहा है? क्या आतंकियों के मारे जाने की बात को छिपाने की कोशिश की जा रही है? इन सवालों के जवाब फिलहाल धुंधले हैं, लेकिन स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हैं।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संसद में दिए अपने बयान में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में 26 लोगों के मारे जाने की बात कही। वहीं, पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने मीडिया को दिए बयान में यह आंकड़ा 31 बताया है। इन दोनों बयानों में पांच लोगों का अंतर कई तरह की आशंकाओं को जन्म दे रहा है।
आंकड़ों में अंतर, सवालों का घेरा
- क्यों है इतना अंतर? प्रधानमंत्री और सेना के आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर क्यों है? क्या दोनों के पास अलग-अलग सूचना स्रोत हैं, या फिर कोई जानबूझकर आंकड़ों को कम या ज्यादा बता रहा है?
- आतंकियों की मौतें छिपाई जा रही हैं? क्या पाकिस्तानी सेना आतंकियों के मारे जाने की बात को छुपा रही है? अगर मारे गए लोगों में आतंकी शामिल हैं, तो क्या सरकार और सेना इसे सार्वजनिक करने से बच रहे हैं?
- आम नागरिकों की मौतें? क्या मारे गए लोगों में आम नागरिक भी शामिल हैं? अगर हां, तो क्या पाकिस्तान सरकार और सेना इसे स्वीकार करने से कतरा रहे हैं?
- मीडिया में स्पष्ट जानकारी का अभाव: पाकिस्तानी मीडिया में भी मौतों के आंकड़ों को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में अलग-अलग आंकड़े बताए जा रहे हैं, जिससे भ्रम और बढ़ रहा है।
- अफरा-तफरी का माहौल: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल है। सरकार और सेना के बयानों में विरोधाभास ने लोगों में अविश्वास पैदा कर दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजर
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी इस मामले पर नजर बनाए हुए है। मौतों के आंकड़ों में अंतर और पारदर्शिता की कमी से पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। कई देश पाकिस्तान से इस मामले में स्पष्टीकरण की मांग कर सकते हैं।
पाकिस्तान की चुप्पी, संदेह गहरा
पाकिस्तान सरकार और सेना की ओर से मौतों के आंकड़ों में अंतर को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। उनकी चुप्पी संदेह को और गहरा कर रही है। क्या पाकिस्तान कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा है? क्या वह अंतर्राष्ट्रीय दबाव से बचने की कोशिश कर रहा है? इन सवालों के जवाब पाकिस्तान को देने होंगे।
आगे क्या?
मौतों के आंकड़ों को लेकर भ्रम की स्थिति पाकिस्तान के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। उसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सवालों का सामना करना पड़ सकता है। पारदर्शिता की कमी से पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
फिलहाल, पाकिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल है। लोग मौतों के सही आंकड़े जानने के लिए परेशान हैं। सरकार और सेना की चुप्पी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।