नीमच, मध्यप्रदेश : अगर आप कला के दीवाने हैं, तो नीमच का नाम सुनते ही आपके मन में गर्व का एहसास होगा। यहां राजेंद्र प्रसाद स्टेडियम में एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसे देख हर कोई हैरान रह गया। 84,000 स्क्वायर फीट में दुनिया की सबसे बड़ी रंगोली बनाई गई, और इसे बनाने वाली कोई और नहीं, बल्कि इंदौर की बेटी और मशहूर कलाकार शिखा शर्मा हैं।
क्या है खास इस रंगोली में?
ये सिर्फ रंगोली नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसमें 100 से ज्यादा पोर्ट्रेट बनाए गए हैं, जिनमें स्वतंत्रता सेनानी, देवी-देवता और महान नेता शामिल हैं। इस रंगोली को बनाने में 26 टन रंग इस्तेमाल हुआ और इसे बनाने में 100 घंटे लगे। शिखा शर्मा और उनकी टीम के 22 सदस्यों ने मिलकर इस अद्भुत कला को साकार किया।
उद्घाटन समारोह का भव्य नजारा
इस रंगोली का उद्घाटन राष्ट्रीय संत डॉ. वसंत विजय जी महाराज ने किया। उन्होंने भगवान गणेश और नाकोड़ा भैरव जी के चित्र पर माल्यार्पण कर इस कला को नमन किया। वहां मौजूद हर व्यक्ति इस कला की भव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया।
कौन हैं शिखा शर्मा?
शिखा शर्मा कोई साधारण नाम नहीं। इंदौर की इस बेटी ने अपनी कला से न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया में अपना नाम रोशन किया है। 10 से ज्यादा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली शिखा रंगोली, क्ले मॉडलिंग, और पेंटिंग में माहिर हैं। उनके खास रिकॉर्ड्स में महात्मा गांधी, राम मंदिर, और भारतीय क्रिकेट टीम की रंगोली शामिल हैं। उनकी कला की तारीफ खुद विराट कोहली और हरनाज संधू जैसे बड़े नाम कर चुके हैं।
मध्यप्रदेश का गर्व, देश का सम्मान
84,000 स्क्वायर फीट की ये रंगोली न सिर्फ नीमच, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। इसे एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। ये सिर्फ रंगों का खेल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और मेहनत का शानदार नमूना है।
इंदौर की बेटी शिखा शर्मा आज भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया में अपनी कला का डंका बजा रही हैं। रंगोली, क्ले मॉडलिंग, और पेंटिंग में महारत हासिल करने वाली शिखा ने 10 से ज़्यादा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर साबित कर दिया कि मेहनत और जुनून के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये रंगोली क्वीन कभी डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही थीं?
एमबीबीएस छोड़ कला की दुनिया में छलांग
शिखा का जन्म 2 जून 1996 को इंदौर में हुआ। पिता लोकेश शर्मा का इंदौर में साड़ी का बड़ा शोरूम है, लेकिन शिखा की दिलचस्पी शुरू से कला की तरफ थी। हालांकि, परिवार के कहने पर उन्होंने एमबीबीएस में दाखिला लिया, पर जल्द ही महसूस किया कि उनका असली पैशन कला में है। 2014 में, उन्होंने अपने पैशन को फॉलो करने का फैसला किया और कला की दुनिया में कदम रखा।
रंगोली क्वीन कैसे बनीं?
शिखा को रंगोली बनाने का शौक बचपन से था। उनकी दादी माँ उनकी प्रेरणा थीं, जिन्होंने उन्हें सिखाया कि कैसे रंगों से खूबसूरत कहानियां बुन सकते हैं। धीरे-धीरे, शिखा ने अपनी कला को एक नए लेवल पर पहुंचा दिया। आज वे 3D रंगोली और ट्रिकी रंगोली की विशेषज्ञ हैं। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में 84000 स्क्वायर फीट की विश्व की सबसे बड़ी रंगोली है, जो उन्होंने नीमच में बनाई।
10 वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और गिनती जारी
शिखा के नाम 10 से ज़्यादा वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हैं। इनमें गांधीजी का पोर्ट्रेट, राम मंदिर की 3D रंगोली, सुभाष चंद्र बोस का पोर्ट्रेट, और महिला दिवस स्पेशल रंगोली शामिल हैं। उनकी कला की तारीफ खुद विराट कोहली और मिस यूनिवर्स हरनाज संधू तक कर चुके हैं।
सोशल मीडिया की स्टार
शिखा केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि एक सोशल मीडिया स्टार भी हैं। इंस्टाग्राम पर उनके 1.7 मिलियन फॉलोअर्स और यूट्यूब पर 14 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं। यूट्यूब से उन्हें सिल्वर, गोल्डन और हाल ही में डायमंड प्ले बटन भी मिला है।
शादी के बाद पति ने दिया साथ
2022 में शिखा ने शान जोशी से शादी की। शादी के बाद शिखा और शान ने मिलकर “शिखा आर्ट इंस्टीट्यूट” की शुरुआत की। आज शान इस इंस्टिट्यूट के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और दोनों का लक्ष्य है रंगोली कला को पूरी दुनिया में पहचान दिलाना।
कला से समाज की सेवा
शिखा न केवल एक कलाकार हैं, बल्कि समाज के प्रति भी अपने कर्तव्यों को समझती हैं। वे स्वच्छ इंदौर की ब्रांड एंबेसडर हैं और वोटिंग अवेयरनेस पर भी काम कर चुकी हैं।
‘बनाऊंगी मैं, सजेगा भारत, बनेगा इतिहास’
शिखा का सपना है कि उनकी कला देश का नाम रोशन करे। वे कहती हैं, “हमने कला को सिर्फ रंगों का खेल माना, लेकिन ये हमारी संस्कृति और इतिहास का हिस्सा है। मेरा सपना है कि हर कोई इस कला को समझे और अपनाए।”
शिखा का कहना है, “मैंने हमेशा सोचा था कि कला को वो पहचान मिले जो क्रिकेट या बॉलीवुड को मिलती है। मेरी कोशिश है कि रंगोली को दुनिया में एक नई पहचान दिलाऊं।”
शिखा शर्मा ने साबित कर दिया है कि जिंदगी में असली सफलता वहीं है, जहां आपका दिल हो। एमबीबीएस छोड़ने के उनके फैसले ने उन्हें न सिर्फ उनकी पहचान दी, बल्कि दुनिया भर में भारत का नाम भी रोशन किया।
शिखा शर्मा जोशी की रंगोलियां सिर्फ कला नहीं, बल्कि कहानियां हैं। ये कहानियां हमारे इतिहास, संस्कृति और भावनाओं को नए अंदाज में प्रस्तुत करती हैं। अगर आपने अब तक उनकी कला नहीं देखी, तो यकीन मानिए, आप बहुत कुछ मिस कर रहे हैं।
तो अगली बार जब रंग और भावनाओं की बात हो, तो शिखा शर्मा जोशी की रंगोलियों को जरूर याद करें। ये सिर्फ रंग नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का प्रतिबिंब हैं।