जयपुर, राजस्थान। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों को लेकर एक बार फिर चिंताएं बढ़ गई हैं। सुनील दत्त गोयल ने अपने लेख में आगाह किया है कि अगर ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं और अपनी टैरिफ (आयात शुल्क) वाली नीतियों को लागू करते हैं, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर का भारी नुकसान हो सकता है। यह नुकसान भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारत पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
गोयल ने अपने लेख में दुनिया के बदलते आर्थिक परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि आज हर देश आर्थिक रूप से एक-दूसरे पर निर्भर है। चीन जहां दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है, वहीं अमेरिका उसका सबसे बड़ा खरीदार है। भारत सेवा क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति है और यूरोप उसका महत्वपूर्ण ग्राहक है। इस परस्पर निर्भरता में ही खतरे छिपे हुए हैं।
उन्होंने अमेरिका और चीन के बीच पहले हुए ट्रेड वॉर का उदाहरण देते हुए बताया कि जब ट्रंप राष्ट्रपति थे, तो उन्होंने चीन से आने वाले सामान पर भारी टैरिफ लगाया था। उनका मानना था कि इससे अमेरिकी कंपनियों और नौकरियों को फायदा होगा, लेकिन इसके विपरीत अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगा सामान खरीदना पड़ा और कई अमेरिकी व्यवसायों को नुकसान हुआ।
अब ट्रंप फिर से अपनी उसी टैरिफ नीति का राग अलाप रहे हैं। उनका कहना है कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो चीन और अन्य देशों से आने वाले सामान पर और भी अधिक टैक्स लगाएंगे। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ऐसा करने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार के बराबर है। यह अमेरिका के लिए एक बहुत बड़ा झटका होगा।
गोयल ने बताया कि अमेरिका न केवल आवश्यक वस्तुओं के लिए चीन पर निर्भर है, बल्कि अमेरिकी कंपनियों ने भी चीन में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। अगर ट्रंप इन पर भारी टैक्स लगाते हैं, तो इन कंपनियों को या तो अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ानी होंगी या फिर अपना कारोबार समेटना होगा। दोनों ही स्थितियों में नुकसान अमेरिका को ही होगा और इसका असर पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
लेख में चीन की संभावित प्रतिक्रिया पर भी प्रकाश डाला गया है। अगर अमेरिका चीन पर और अधिक टैरिफ लगाता है, तो चीन भी चुप नहीं बैठेगा और वह भी अमेरिकी सामान पर जवाबी कार्रवाई करते हुए टैक्स बढ़ा देगा। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ेगा, जिसका नकारात्मक प्रभाव वैश्विक बाजारों पर पड़ेगा। पहले भी जब ट्रंप ने टैरिफ लगाए थे, तब चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाया था, जिससे दोनों देशों के किसानों और व्यापारियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के महत्व पर जोर देते हुए गोयल ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) जैसी संस्थाएं देशों के बीच शांतिपूर्ण और निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं। अगर कोई देश अपनी मर्जी से भारी टैरिफ लगाता है, तो यह डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन माना जा सकता है और अन्य देश भी इसका विरोध कर सकते हैं, जिससे व्यापार युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है।
भारत पर इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण करते हुए गोयल ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध हैं। अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार और भारतीय सामान का एक बड़ा खरीदार है। अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कोई बड़ी गड़बड़ी होती है, तो इसका सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ सकता है। हमारी आईटी, फार्मा और अन्य कई क्षेत्र अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। वहां मांग में कमी आने से इन उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त, वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ने से निवेश पर भी असर पड़ सकता है। विदेशी निवेशक अपनी पूंजी लगाने से पहले सोचेंगे और विकासशील देशों में निवेश कम हो सकता है, जिसका नुकसान भारत को भी उठाना पड़ सकता है।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए गोयल ने भारत के लिए सतर्क रणनीति अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर रखनी होगी और यह देखना होगा कि अमेरिकी नीतियां किस दिशा में जाती हैं और इसका हमारे व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही हमें अपनी अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा ताकि बाहरी झटकों का हम पर कम से कम असर हो।
गोयल ने सुझाव दिया कि भारत को अपने व्यापारिक रिश्तों को सिर्फ अमेरिका पर ही केंद्रित नहीं रखना चाहिए, बल्कि यूरोप, जापान और आसियान देशों जैसे अन्य देशों के साथ भी अपने व्यापार को बढ़ाना चाहिए। इससे अगर किसी एक क्षेत्र में दिक्कत आती है, तो दूसरे क्षेत्र से उसकी भरपाई की जा सकेगी।
उन्होंने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनका मानना है कि अगर भारत उच्च गुणवत्ता वाले और प्रतिस्पर्धी उत्पाद बनाता है, तो दुनिया भर के बाजारों में उसकी मांग बनी रहेगी, चाहे किसी भी देश की नीतियां कैसी भी हों।
सुनील दत्त गोयल ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों का खतरा अभी टला नहीं है। अगर वह फिर से सत्ता में आते हैं, तो वैश्विक व्यापार में एक नया उथल-पुथल देखने को मिल सकता है। भारत को इस स्थिति के लिए तैयार रहना होगा और अपनी आर्थिक नीतियों को इस तरह से बनाना होगा कि वह बाहरी दबावों का सामना कर सके और अपने विकास की गति को बनाए रख सके। सतर्क रहना और सही समय पर सही कदम उठाना ही भारत की सबसे बड़ी ताकत होगी।